मंगलवार, 4 मार्च 2025

पढ़ती हैं

 आप टिप्पणी संग मुझे गढ़ती हैं

लिख लेता हूँ जो आप पढ़ती हैं


पुरुष बुरा ना मानें उनका भी हाथ

पर विपरीत लिंग हो तो साथ नाथ

एक संपूर्णता ही सृष्टि गढ़ती है

लिख लेता हूँ जो आप पढ़ती हैं


पुरुष टिप्पणी से हो बौद्धिक उड़ान

आपकी टिप्पणी का ले हृदय संज्ञान

मेरी भावनाओं में आप उड़ती हैं

लिख लेता हूँ जो आप पढ़ती हैं


पूछती अक्सर आप कैसे लिख लेता

आप ही जानती रचना की केंद्र मेधा

कविताएं पूजती भावनाएं उमड़ती हैं

लिख लेता हूँ जो आप पढ़ती हैं।


धीरेन्द्र सिंह

05.03.2025

10.00