आप टिप्पणी संग मुझे गढ़ती हैं
लिख लेता हूँ जो आप पढ़ती हैं
पुरुष बुरा ना मानें उनका भी हाथ
पर विपरीत लिंग हो तो साथ नाथ
एक संपूर्णता ही सृष्टि गढ़ती है
लिख लेता हूँ जो आप पढ़ती हैं
पुरुष टिप्पणी से हो बौद्धिक उड़ान
आपकी टिप्पणी का ले हृदय संज्ञान
मेरी भावनाओं में आप उड़ती हैं
लिख लेता हूँ जो आप पढ़ती हैं
पूछती अक्सर आप कैसे लिख लेता
आप ही जानती रचना की केंद्र मेधा
कविताएं पूजती भावनाएं उमड़ती हैं
लिख लेता हूँ जो आप पढ़ती हैं।
धीरेन्द्र सिंह
05.03.2025
10.00