शुक्रवार, 13 दिसंबर 2024

पीठासीन

 सत्य की अर्जियां तो दीजिए

कथ्य की मर्जियाँ भी लीजिए

प्रजातंत्र की है यह स्वतंत्रता

बरसते भाव रीतियों से भीगिए


आप विजेता नेता सा चल रहे

ठाठ में तो बाट को तो देखिए

कल तलक जयकारा लगानेवाला

किस कदर अनदेखा हुस्न हिए


दिल की संसद में है वाद-विवाद

शोर अनियंत्रित कुछ तो कीजिए

प्यार में पक्ष-प्रतिपक्ष द्वंद्व चरम

समर्पित है प्रणय पीठासीन लीजिए।


धीरेन्द्र सिंह

13.12.2024

19.30