बुधवार, 14 मई 2025

साहित्य धुरंधर

 लेखन के धुरंधर अपनी रचनाओं के अंदर

पुस्तक प्रकाशन, मंच इनका है समंदर

समीक्षक धुरंधर को देते लेखन लोकप्रियता

वरना कई श्रेष्ठ लेखन पाते हैं प्रकारांतर


जब नहीं था दूरदर्शन, फ़िल्म, सोशल मीडिया

पनपे इसी दौर में हिंदी लेखन के धुरंधर

अब प्रतिदिन श्रेष्ठ रचनाएं रही हैं तैर उन्मुक्त

अर्थहीन, भावहीन शब्द साहित्य धुरंधर


देवनागरी लिपि का कहां हो रहा प्रयोग है

स्तरीय हिंदी अनुवाद कहां है अभ्यंतर

मूल हिंदी में लिखा जा रहा कहां कुछ

कहानी, कविता अब नहीं भाषा मंतर


प्रत्येक क्षेत्र की होती है अपनी शब्दावली

हिंदी भाषा कितने शब्द निर्मित करे निरंतर

चुपचाप स्वीकारते शब्द अंग्रेजी का ही चलें

शब्द हिंदी निर्माण उचित हो तो प्रगति सुंदर


हिंदी के सिपाही रहते सजग, सचेत तत्पर

अनगढ़ कहीं दिखे सुधार के प्रयास अंदर

अनुशासन से होता भाषा विकास संवर्धन

जनता ही प्रयोक्ता है जनता ही धुरंधर।


धीरेन्द्र सिंह

14.05.2025

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