शनिवार, 8 मार्च 2025

रचनात्मकता

 रचनात्मकता लुप्त हो जाती है

जब उनके

टाईमलाइन पर होती है प्रस्तुत

दूसरों की लिखी रचनाएं,

इसका सीधा अर्थ, चुक गए हैं

प्रयास

अन्य की रचना से जगमगाएं,


रचनात्मक चापलूसी है यह

अन्यथा

एक रचनाकार श्रेष्ठ रचे

न कि

दूसरे की रचना ले बसे,


बस यही कहानी है

लेखन की रवानी है

खुद श्रेष्ठ लिख न सकें

अन्य की रचना बानी है,


एक स्वस्थ लेखन अभाव है

हिंदी लेखन रिश्ता गांव है

तू मेरी गा दे सुर में तो

और गूंजता कांव-कांव है


प्रतिभा है तो लिखिए

क्यों

दूसरों की रचनाएं हैं परोसते

कौन सी जुगाड़ू

अपनी नई राह है खोजते,


अस्वीकार है यह परंपरा

हिंदी चलन यह सिरफिरा

अपनी गति लयबद्ध रखें

शेष हैं स्थापित हराभरा।


धीरेन्द्र सिंह

09.03.2025

12.23



जबरदस्ती

 कविताएं अब

उभरती नहीं हैं

लिखी जाती हैं

शब्दों की भीड़ से,


अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस

दिनभर कविताएं

फुदकती रहीं

कभी यह समूह तो

कभी वह ग्रुप,

मौलिकता थी मद्धम

या फिर चुप,


नारी शक्ति है, ऊर्जा है

नारी भक्ति है, दुर्गा है

नारी जग का पोषण है

होता नारी का शोषण है,

प्रत्येक वर्ष इसी के इर्द-गिर्द

घूमती हैं कविताएं,

जबरदस्ती न लिखें कविता

क्योंकि चीखती है वह

रचनाकार क्यों सताए,

भला कविता को

कैसे बताएं,


जब भाव घुमड़ने लगें

अभिव्यक्ति को उमड़ने लगें

तब शब्दों से सजाएं,

कविता लिखनी है सोचकर

शब्द नहीं भटकाएं।


धीरेन्द्र सिंह

09.03.2025आ

07.32