गुरुवार, 27 जनवरी 2011

आपका चेहरा

आपका चेहरा ना देखा कुछ ना देखा
बोल की मिश्री ना तो कैसी मिठास
चांद चलता चांदनी ले चुलबुली
लहरें तट पर दौड़ती कर अट्ठहास

तृप्ति का अनुभव जो मरूस्थल करे
बदली भर बूंदों का पा अहसास
आपका रूप अप्रतिम बस गया
अब ना जीवन से चाहिए खास

सुरभित, सुगम, सुनहरा सौंदर्य है
लगे निज जलप्रपात जैसी प्यास
शबनमी अहसास में पुलकित पंखुड़ियां
सृष्टि को समेट लिया हो मधुमास

आपका चेहरा या मेरी दृष्टि है
खूबसूरती में कैसी यह तलाश
एक जीवन जी ल्न् की ललक
दूरियां कम कर हो सकें पास.


भावनाओं के पुष्पों से,हर मन है सिज़ता
अभिव्यक्ति की डोर पर,हर धड़कन है निज़ता,
शब्दों की अमराई में,भावों की तरूणाई है
दिल की लिखी रूबाई मे,एक तड़पन है निज़ता.