मंगलवार, 24 दिसंबर 2024

फुलझड़ी

 हम उसी भावनाओं की फुलझड़ी हैं

आतिशबाजियों को क्यों तड़ातड़ी है


रंगबिरंगी रोशनी से है जिंदगी नहाई

शुभसंगी कौतुकी में है बंदगी अंगड़ाई

समस्याएं सघन मार्ग चांदनी खड़ी है

आतिशबाजियों को क्यों तड़ातड़ी है


फुलझड़ी संपर्क है जलने तक रुबाई

सुरक्षित शुभता दिव्यता भर मुस्काई

अन्य ध्वनि करें असुरक्षा भी बड़ी है

आतिशबाजियों को क्यों तड़ातड़ी है


अंगुलियों से पकड़ें तो चाह चमचमाई

फुलझड़ी सहयोगी संग-साथ गुनगुनाई

रोशन फूल सितारों की जिंदगी लड़ी है

आतिशबाजियों को क्यों तड़ातड़ी है।


धीरेन्द्र सिंह

25.12.2024

12.14




प्रेम कली

 आप यथार्थ मैं यथार्थ

अस्पष्ट हैं सब भावार्थ

अभिव्यक्तियां विभिन्न

दावा सभी करें समानार्थ


बूंद चुनौती सागर देती

गागर थिरकन चित्रार्थ

लहरें कब करदें तांडव

विप्लव कब होता परमार्थ


सबके हिय बहता सागर

मन गगरी स्पंदन स्वार्थ

सबकी खोज यथार्थ है

सबका प्रयास है ज्ञानार्थ


अपने यथार्थ को जानें

माने समझें क्या हितार्थ

प्रेम कली का प्रस्फुटन

सागर गागर बस संकेतार्थ।


धीरेन्द्र सिंह

24.12.2024

16.11