शनिवार, 17 मई 2025

नाद है

 करतल ध्वनियों का निनाद है

किसकी जीत का यह संवाद है

किन उपलब्धियों के विजेता है

संघर्ष निरंतर है और विवाद है


इतिहास की हैं कुछ गलतियां

विश्वास भी कहता नाबाद है

कौन किस गलियारे आ पड़ा

जो जहाँ लगे वह आबाद है


चाल चलती बढ़ती हैं युक्तियां

सूक्तियों का चलन निर्विवाद है

ज्ञान कटोरा ने क्या-क्या बटोरा

व्यक्ति-व्यक्ति में वही नाद है


समय को इतिहास है पुकारता

परिवर्तन में भविष्य जज्बात है

शौर्य साध्य है संयोजनों का

समय कहता सहज यह बात है।


धीरेन्द्र सिंह

17.05.2025

17.27