बुधवार, 5 मार्च 2025

रंग अनेक

 शब्द-शब्द अंगड़ाई है भाव-भाव अमराई

नयन रंग अनेक हैं होली आई रे आई


पहले मन रंग जमाता चुन अपने सपने

बाद युक्ति मेल सजाता दिखने और छुपने

 रंग गुलाल से प्रयास मिट जाए रुसवाई

नयन रंग अनेक हैं होली आई रे आई


अपने रंग से जुड़ा रहा कर ओ रंग संवेदी

बाजारों के दावे बहुत सजे हुए रंग भेदी

होलिका में कर दे दहन रंग बदरंग चतुराई

नयन रंग अनेक हैं होली आई रे आई


महाकुम्भ का महाडुबकी आध्यात्मिक थपकी

होली भी वही धर्म है सोच-सोच पर अटकी

रंग जाना और रंग देना ही सुपात्र बीच छाई

नयन रंग अनेक हैं होली आई रे आई।


धीरेन्द्र सिंह

06.03.2025

12.13