अति व्यस्तता में जो रचना न गयी लिखी
बोल उठीं ”आज आपकी पोस्ट नहीं दिखी”
लेखन हो निरंतर तो नित्य के होते पाठक
सब होते रचनाकार लेखन के नए साधक
अभिनव ऊर्जा देते पाठक सखा और सखी
बोल उठी “आज आपकी पोस्ट नहीं दिखी”
सुवासित हुई रचनाएं भी पढ़ उनकी पंक्ति
यह व्यक्ति की प्रशंसा या सर्जन आसक्ति
कई भावनाएं उपज करें बातें बहकी-बहकी
बोल उठी “आज आपकी पोस्ट नहीं दिखी”
मैसेंजर पर लिखीं करती नही टिप्पणियां
खो जाती कभी बातें हम-दोनों के दर्मियाँ
समूह ओर ना बढ़ीं मैसेंजर पर यूं चहकी
बोल उठी “आज आपकी पोस्ट नहीं दिखी”।
धीरेन्द्र सिंह
20.12.2024
21.42