शुक्रवार, 4 मार्च 2011

तुम ना देती साथ

जीवन के नित संघर्षों में, वेग बड़ा तूफानी है
नित प्रवाह से मिले थपेड़े, संघर्षरत ज़िंदगानी है
कदम दौड़ते रहते हरदम, हॉथों में लिए प्यास
चूर-चूर कर बिखर मैं जाता, तुम ना देती साथ


प्यार शब्द से यार जुड़ा जिसमें है अख्तियार
संसार में अतिचार है चहुंओर विविध है पुकार
स्वप्न बड़े हैं, लक्ष्य बड़े हैं, हो जाता शिलान्यास
एक नींव से ना जुड़ पाता, तुम ना देती साथ


कोलाहल है, कलुषित-कल्पित यहॉ नया हर भेष है
खुशियॉ, उत्सव, हर्ष, ख्वाहिशें, बस थोड़ी सी शेष हैं
गतिशीलता में ना जाने कब लग जाता एक फॉस
जीवन जटिल जंग हो जाता तुम ना देती साथ

एक हो तुम मृदु तरंगिनी, खूबसूरत लय विश्वास
पुष्पित पल्लवित धरा झूमती संग सरगमी साज
तुम ही हो आत्मशक्ति तुम निज़ता का अहसास
मैं ना रह पाता एक गूंज, तुम ना देती साथ.




भावनाओं के पुष्पों से,हर मन है सिज़ता
अभिव्यक्ति की डोर पर,हर धड़कन है निज़ता
शब्दों की अमराई में,भावों की तरूणाई है
दिल की लिखी रूबाई मे,एक तड़पन है निज़ता.