यद्यपि तुम तथापि किन्तु
वेगवान मन कितने हैं जंतु
विकल्प हमेशा रहता सक्रिय
लेन-देन भावना अति प्रिय
आकांक्षाओं के अविरल तंतु
वेगवान मन कितने हैं जंतु
जड़ अचल झूमती डालियाँ
एक घर, हैं अनेक गलियां
व्यग्रता व्यूह निरखता मंजू
वेगवान मन कितने हैं जंतु
अपने को अपने से छुपाना
खुद से खुद का बहाना
जकड़न, अकड़न तड़पन घुमंतु
वेगवान मन कितने हैं जंतु।
धीरेन्द्र सिंह
14.11.2024
08.28