मंगलवार, 6 मई 2025

पानी न दी

 (नई दिल्ली, एनसीआर में घटित एक सत्य घटना पर आधारित रचना जहां कुछ पुरुषों ने मिलकर एक उभरती सशक्त रचनाकार को ऐसा भरमाया की उसने लेखन बंद कर दिया और सर्जनात्मक रूप से बिखर गई जिसका खेद है।)


दरवाजे से लौटा दी मांगा पानी न दी

ऐसा भी करती हैं साहित्य सेवी महिला

दोष इतना सा था कि बहकने से रोका

अब मौन है अज्ञात है जो थी पहिला


एक उड़ीसा की लेखिका पूजती रहती

नासमझ वह क्या जानें उत्तर का किला

पंजीकृत संस्था है निष्क्रिय, प्रकाशक शांत

गलियारों में साहित्य का रहा मौन खिलखिला


कहता था मर जाओगी भ्रमित जाल में

झूठी प्रशंसा, उपहारों ने दिया मन हिला

अब सर्वेश्वर की कविता यूट्यूब पर पढ़ें

खुद की काव्य पुस्तक कर रही है गिला


हर उभरती साहित्यिक महिला को मशवरा

लेखन रहे सतत अन्य गौण सिलसिला

एक प्रतिभाशाली लेखिका, मौन हो गयी

दर्द सह सका न अब तो, दिया चिल्ला।


धीरेन्द्र सिंह

02.05.20२5

17.17