शुक्रवार, 9 मई 2025

संपर्क

 जो भी आता मुझसे मिलता

औपचारिकता संग छुपे दिल का

इसमें उनकी क्या कोई गलती

सांसारिकता अब चुके दिन सा


जीवन में है मिला जो धोखा

लोग हैं सोचते संपर्क साहिल सा

लहरों सा छूकर तट लौट जाना

संबंध अब तो है बस हासिल सा


तर्क और विवेक के अनुभव कहें

असत्य सब सत्य मात्र काबिल का

हर संपर्क तौलता निज लाभ हानि

जग यही सोचता कर्म कातिल सा।


धीरेन्द्र सिंह

09.05.2025

19.05