मंगलवार, 25 मार्च 2025

प्रसिद्धि

 यह प्रदर्शन, इस रुतबा का औचित्य क्या

प्रसिद्धि का लंबा है कहीं व्यक्तित्व क्या


कुछ तो इतिहास में जाते हैं खूब पढ़ाए

सत्य क्या है यह प्रायः समझ ना आए

एक वर्ग में लिए दर्प उंसमें निजत्व क्या

प्रसिद्धि का लंबा है कहीं व्यक्तित्व क्या


वसुधैव कुटुम्बकम में भी हैं अनेक कुनबे

शालीनता उनमें नहीं एक-दूजे को सुन बे

संबोधन, संपर्क में है बो दिया विष क्या

प्रसिद्धि का लंबा है कहीं व्यक्तित्व क्या


एक बुलबुले से उफन रहे हैं ख्याति प्रेमी

अल्पसमय में सपन हो रहे हैं चर्चित नेमी

जीवन सहज सुगंधित खोए सामीप्य क्या

प्रसिद्धि का लंबा है कहीं व्यक्तित्व क्या।


धीरेन्द्र सिंह

26.03.2025

08.07



प्रेमिकाएं

 कौंध जाती हैं हृदय की लतिकायें

कौन जाने क्या झेली हैं प्रेमिकाएं


भावनाओं का तूफान लिए चलती हैं

आंधियों में भी मासूम सी ढलती हैं

हृदय पर हैं उनकी अमिट कृतिकाएं

कौन जाने क्या झेली हैं प्रेमिकाएं


जब भी मिली अनायास अकस्मात

जैसी हों सावन की पहली बरसात

प्रणय की दिखा गईं कई शिखाएं

कौन जाने क्या झेली हैं प्रेमिकाएं


सब अकस्मात हुआ बात-बेबात सा

कब साक्षात हुआ एक पहल पा

लिखने लगा जीवन प्रेम की ऋचाएं

कौन जाने क्या झेली हैं प्रेमिकाएं


यह जग की बात नही अपनी बात

क्षद्म, धोखा कहीं ऐसे नहीं हालात

अनपेक्षित सामनाओं की वीरांगनाएं

कौन जाने क्या झेली हैं प्रेमिकाएं।


धीरेन्द्र सिंह

24.03.2025

21.19