शनिवार, 18 जनवरी 2025

मोनालिसा

 कर्म के मर्म का शायद यही फैसला है

धर्म महाकुम्भ में मेरा भी जलजला है


खानाबदोश हूँ मोनालिसा मेरा नाम है

त्रिवेणी की कृपा नयन मेरे मेहमान हैं

मालाएं बिक रही हैं व्यवसाय खिला है

धर्म महाकुम्भ में मेरा भी जलजला है


मेरा व्यवसाय अधिक बेचनी है मालाएं

जल्दी बिक जाएं कभी हंसे तो मुस्काएं

वर्षों से इसी कर्म में व्यक्तित्व ढला है

धर्म महाकुम्भ में मेरा भी जलजला है


अशिक्षित हूँ अनुभव से सीखी दुनियादारी

मेरे इर्दगिर्द प्रसन्न दृष्टियों की है तीमारदारी

घूमी हूँ बहुत पर भाग्य ऐसा ना फला है

धर्म महाकुम्भ में मेरा भी जलजला है


हजारों फोटो और वीडियो मेरे अँखियन की

लोग रहते हैं घेरे क्यों यही बातें सखियन की

बहुत बिक रही मालाएं तनमन खिला है

धर्म महाकुम्भ में मेरा भी जलजला है।


धीरेन्द्र 

19.01.2025

11.15



तुम ही

 मुझे तुम भुला दो या मुझको बुला लो

यह झूले सा जीवन अब भाता नहीं है

यह पढ़कर मुस्कराकर यही फिर कहोगी

हृदय वैसे पढ़ना मुझको आता नहीं है


गज़ब की हवा महक चुराई है तुमसे अभी

फिर न कहना कोई यह खता तो नहीं है

हुस्न की अपनो है कई पेंचीदिंगिया अजीब

इश्क़ रहता है जलता कहें पता ही नहीं है


सभी हैं वयस्क नित जिंदगी के नए चितेरे

कोई बात है उनको घेरे वह नई तो नहीं है

काश वो आ जाएं लता सा लिपट गुनगुनाएं

जिंदगी है यही और कुछ बाकी तो नहीं है।


धीरेन्द्र सिंह

18.01.2025

21.16