मंगलवार, 27 मार्च 2018

ऑनलाइन प्यार

मधुर मृदुल करतल
ऐसा करती हो हलचल
स्मित रंगोली मुख वंदन
करती आह्लादित प्रांजल

सम्मुख अभ्यर्थना कहां
मन नयन पलक चंचल
फेसबुक, वॉट्सएप, मैसेंजर
दृग यही लगे नव काजल

मन को मन छुए बरबस
भावों के बहुरंग बादल
अपनी मस्ती में जाए खिला
मन सांखल बन कभी पागल

ऑनलाइन बाट तके अब चाहत
नेटवर्क की शंका खलबल
वीडियो कॉल सच ताल लगे
अब प्रत्यक्ष मिलन हृदयातल।

धीरेन्द्र सिंह