हिंदी समूह से जुड़ना
मेरा भाषा कर्तव्य है
तू बता समूह सफल
साहित्य क्या महत्व है?
कितने समूह छोड़ दिया
जो कहते भव्य हैं
कुछ ने मुझे निकाला
सोच बेबाक तथ्य है
सदस्य संख्या की भूख
साहित्य बुझा घनत्व है
बेतरतीब बढ़ रहा लेखन
रचना यही तत्व है
कुछ आते समय काटने
समूह टाइमपास भव्य है
कोई नहीं सचेतक वहां
कहते समूह सभ्य है।
धीरेन्द्र सिंह
08.16
05.04.2025