गुरुवार, 15 मई 2025

भय

 कई दिनों से

उनके और मेरे बीच

बंद थी चैटिंग,

उन्होंने बंद नहीं की

और न मैंने

चैटिंग बंद की

मेरे भय ने,


चैटिंग के प्रवाह में

एक बार

भावना में अनियंत्रित

बह गया, कह गया

जो प्रायः अधिकांश

पुरुषों संग होता है,

उनका जवाब खिला न लगा,

मैंने जो कहा था

ज्ञात हो ही जाता है

हो गयी त्रुटि

भले न वह तानें भृकुटि

सोच यह सहम गया,

चैटिंग करने नहीं गया,


प्रतिदिन

मेरी रचना पर

उनका आना

लाइक कर चले जाना

मुझे देता था सोच

नाराज होंगी पर

नहीं की हैं खारिज मुझे,

वह बोलती हैं अक्सर

मेरी कविताओं की

मुग्धा वह हैं,


आज सुबह

उनका चैट आया

“कैसे हैं आप”

स्वर्ग उतर मेरे पास आया,

हृदय ने रूधिर

ब्रह्मोस सा दौड़ाया,

आंखे जुगनू हो गईं

और अंगुलियां

तेज गति से

दौड़ने लगीं की बोर्ड पर,

उंडेल दिया मन को प्रवाह में,

 पढ़ा

“मेरी बेटी ने सीबीएससी बोर्ड में

90 प्रतिशत अर्जित किया”,

इतना अपनापन !


मेरे नयन भींग गए

क्या टाइप किया

क्या पढ़ा

डबडबायी आंखें क्या जाने

बस इतना ही जान पाया

नारी अद्वितीय है,

अवर्णनीय, अकल्पनीय,

धन्य है नारी🙏


धीरेन्द्र सिंह

15.05.2025

15.00