जीवन
एक प्यास
एक आस
एक तलाश
पर क्या यह है सच?
खरगोश सा है
अधिकांश जीवन
एक बनाई परिधि में
निर्द्वंद्व भटकना
और रहना प्रसन्न
उसी परिवेश में
जाने-पहचाने चेहरे बीच;
कौन तोड़ निकल पाता है
दायरा अपना
एक अनजानी चुनौती
का करने सामना,
आए चुनौतियां
दौड़े अपने
सम्प्रदाय धर्म स्थली
कामना-थाम ना;
अधिकांश जीवन
अपनी मुक्ति का
करता है भक्ति,
एक उन्मुक्त उड़ान की
कामना में,
जीवन-जीवन को छलते
यूं ही
गुजर जाता है।
धीरेन्द्र सिंह
12.12.2024
08.41
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें