सर्द-सर्द पंक्तियां
क्यों हमारे दर्मियाँ
चाह की चाय
आह की चुस्कियां
गर्माहट मंद हुई
क्यों हमारे दर्मियाँ
सर्द-सर्द पंक्तियां
क्यों हमारे दर्मियाँ
कौतूहल चपल है
कयास की सरगर्मियां
फुँकनी लील गया करेजा
क्यों हमारे दर्मियाँ
सर्द-सर्द पंक्तियां
क्यों हमारे दर्मियाँ
मनभर लोटा दिए उलीच
चाह कटोरा रिक्तियां
सजल सत्यकाम अनाम
क्यों हनारे दर्मियाँ
सर्द-सर्द पंक्तियां
क्यों हमारे दर्मियाँ।
धीरेन्द्र सिंह
18.11.2024
10.47
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