सोमवार, 18 नवंबर 2024

सर्द पंक्तियां

 सर्द-सर्द पंक्तियां

क्यों हमारे दर्मियाँ


चाह की चाय

आह की चुस्कियां

गर्माहट मंद हुई

क्यों हमारे दर्मियाँ


सर्द-सर्द पंक्तियां

क्यों हमारे दर्मियाँ


कौतूहल चपल है

कयास की सरगर्मियां

फुँकनी लील गया करेजा

क्यों हमारे दर्मियाँ


सर्द-सर्द पंक्तियां

क्यों हमारे दर्मियाँ


मनभर लोटा दिए उलीच

चाह कटोरा रिक्तियां

सजल सत्यकाम अनाम

क्यों हनारे दर्मियाँ


सर्द-सर्द पंक्तियां

क्यों हमारे दर्मियाँ।


धीरेन्द्र सिंह

18.11.2024

10.47



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