सर्दियों की दस्तक है
गर्माहट ही समीक्षक है
मौसम के कई प्रश्नपत्र
सिहरन बनी अधीक्षक है
सर्द हवाएं त्वचा बेचैन
गर्म वस्त्र लकदक हैं
दिन पीछे आगे रात
रसोई भी भौंचक है
गर्म चुस्कियां विधा अनेक
नर्म गर्म ही रक्षक है
धुंध, कुहासे दूध बताशे
वाहन लाइट कचकच है
चेहरा अधर क्रीम भरा
भूख लगे भक्षक है
श्रृंगार की धार फुहार
अधर-अधर अक्षत है।
धीरेन्द्र सिंह
17.11.2024
20.11
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