शनिवार, 16 नवंबर 2024

नेतृत्व

 नेतृत्व -  नेतृत्व


विश्वमयी मानव तत्व

पर छाते अंधियारे

विश्व किसको डांटे

कुनबा-कुनबा निज अस्तित्व,

नेतृत्व-नेतृत्व


युद्ध कहीं चल रहा

कहीं आस्था परिवर्तन

लगाम लगा न पाए कोई

निरंतर हो परिवर्तन

कैसे-कैसे खुले-बंद हैं कृतित्व,

नेतृत्व-नेतृत्व


कोख कहीं सौम्य सरल

कोख कहीं अति सक्रिय

जात-धर्म की चर्चा है

शूद्र, वैश्य, पंडित, क्षत्रीय

कहा किसका कैसे गिनें घनत्व,

नेतृत्व-नेतृत्व


एक विवेकी असमर्थ हो जाता

विपक्ष में जो हो अविवेकी

कर्म से कोई भाग्य रचता

कोई रचता आक्रामकता खेती

मानवता करे गुहार स्थूल न हो द्रव्य,

नेतृत्व-नेतृत्व


वसुधैव कुटुम्बकम विश्व भाल

सत्य है नहीं वहम, जीवन पाल

भारतीय संस्कृति अति विशाल

हमेशा चाहती विश्व सुख ताल

मानवता चाहती विनम्रता सत्व,

नेतृत्व-नेतृत्व।


धीरेन्द्र सिंह

16.11.2024

12.51



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