कथ्य की कटोरी में भावनाओं की छलकन
समझ ना पाएं हो जाती है अजब अनबन
कथ्य एक प्रकार कथा, भावनाएं मनोव्यथा
कहनेवाला कहे यथा भावनाएं होती तथा
अभिव्यक्तियों के लहजा में होती लटकन
समझ ना पाए हो जाती है अजब अनबन
वार्ता में जब होते विषय विचार सोचे सुजय
शब्दों की दौड़ हो संपर्क तब बने अविजय
प्रवाह तंद्रा में कुछ शब्द अजूबे भी बनठन
समझ ना पाए हो जाती है अजब अनबन
चैट में तो चेहरा भी नहीं शब्द ही संसार
रोका न जाए तो भावनाओं की बहे धार
हास्य, किल्लोल, छेड़ना आदि के मनधन
समझ ना पाए हो जाती है अजब अनबन।
धीरेन्द्र सिंह
22.08.2024
19.41
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