पहली बार जो देखा उनका फोटो
गाल गुलाल कमाल धमाल समान
मुग्धित मन सौंदर्य निरखते बहका
देने लगा नयन, अधर को सम्मान
चलते-चलते भाव फिसलते बहलते
श्रृंगारित शब्द लाया प्रणय अभिमान
सक्रिय छुवन अनुभूति चैट एकतरफा
उलझन क्या कहें सुजान या नादान
सावन के झूले सा शब्द लगा रहे पेंग
एकतरफा लेखन दूजी ओर संज्ञान
लेखन को रोका विवेक तब शांत हुए
मैसेंजर पर जमे हुए दुई विद्वान।
धीरेन्द्र सिंह
21.08.2024
11.35
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