गुरुवार, 13 जून 2024

आतुर थाली

ज्योतिष कह रहा कोई आनेवाली है

तब से कल्पनाओं की जारी जुगाली है

 

अनुभूतियां नियुक्तियां मधु तरंग करें

रिक्तियां मुक्तियाँ लखि प्रबंध करें

नयन प्रतिबद्धता ने राह खंगाली है

तब से कल्पनाओं की जारी जुगाली है

 

आगत के स्वागत का नव वृंदगान है

पलकों के गलीचे का कोमल विज्ञान है

अधर शब्द पुष्पगुच्छ सांसें ताली हैं

तब से कल्पनाओं की जारी जुगाली है

 

किस योग्यता का न्यौता मन ब्यौता

किस भव्यता से हृदय को हृदय सौंपा

अक्षत, मिष्ठान, दीप ले आतुर थाली है

तब से कल्पनाओं की जारी जुगाली है।

 

धीरेन्द्र सिंह

12.06.2024

22.43



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