बलवती हो रही हैं निज भावनाएं
एक आप कर रहीं दमित कामनाएं
एक अकुलाहट में निहित बुलाहट
एक मनआहट में विस्मित कबाहट
संशय तोड़ उभरतीं संभावित पताकाएं
एक आप कर रहीं दमित भावनाएं
संस्कार का शीतधार वेग है अपार
प्रेम है आपका बस संयमित दुलार
बांध तोड़कर उफनने को आमादा धाराएं
एक आप कर रहीं दमित भावनाएं
ओ साधिका साध दी छवि जीवन
ओ वामिका आंच दी रचि सीवन
धारित जीवन निहित कई वर्जनाएं
एक आप कर रहीं दमित भावनाएं
चार दशक बाद न रहा उत्साही चषक
क्या निज उपवन है गया कहीं धसक
आपकी शैली में आतुर शमित सर्जनाएँ
एक आप कर रहीं दमित भावनाएं।
धीरेन्द्र सिंह
14.06.2024
09.17
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