सोमवार, 8 अप्रैल 2024

साहित्यिक चोरी

 चुरा ले गया कोई कविता की तरह

यह आदत नहीं अनमनी प्यास है

छप गयी नाम उनके चुराई कविता


हिंदी लेखन की हुनहुनी आस है


छपने की लालसा लिखने से अधिक

चाह लिखने की पर क्या खास है

इसी उधेड़बुन में चुरा लेते हैं साहित्य

यह मानसिक बीमारी का भास है


मित्र बोलीं फलाना समूह में हैं चोर

हिंदी साहित्य लेखन के श्राप है

कहने लगी साहित्य छपने में है लाभ

वरना यत्र-तत्र लेखन तो घास है


मित्र की बात मान दिया सम्मान

प्यास की राह में सबका उपवास है

मनचाहा मिले तो कर लें ग्रहण

चोरियां भी साहित्य में होती खास हैं।


धीरेन्द्र सिंह

08.04.2024

16.06

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