बुधवार, 13 जून 2012

श्याम घटा की रागिनी


कब सुन्दर लग जाता कोई
कब दिल को छू जाता है
एक पल का केवल मिलना
लगता जन्मों का नाता है

कहते हैं कि दृष्टि हो सुन्दर
सब सुन्दर लग जाता है
यदि ऐसा कहना सच है तो
दिल को हर क्यों ना भाता है

दिनों साथ रहता संग कोई
प्रीति अधजगी रहती सोई
दिल दृष्टि ना अकुलाता है
उठती कोई ना जिज्ञासा है

आप मधुभरी चाँदनी जैसी
श्याम घटा की रागिनी जैसी
ह्रदय प्यार यह छलकाता है
दिल से दिल का यह नाता है

कैसी प्रतीक्षा कैसा यह अनमन
छोड़िये दिल दिमाग की अनबन
दिल की चाहत को चुकाना है
बस प्यार से उन्हें बतलाना है.  





भावनाओं के पुष्पों से,हर मन है सिज़ता
अभिव्यक्ति की डोर पर,हर धड़कन है निज़ता,
शब्दों की अमराई में,भावों की तरूणाई है
दिल की लिखी रूबाई मे,एक तड़पन है निज़ता.

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