बरखा
रानी बूँद भर पानी
भर
देती प्रकृति में रवानी
कोयल
कूके,पत्ते सब गायें
धरा
को मानो मिली जवानी
बादल
नभ में दौड़े धायें
मेढक
गली-गली टर्राएँ
चारों तरफ पानी ही पानी
बरखा बरसे लगे सयानी
पक्षी
दुबके देख ठिकाना
हरियाली
का गूंजे गाना
बरखा
की चलती मनमानी
चिड़िया
ढूंढे दाना-पानी
काले-काले
घने बादल आये
बिजली
चमके और डराए
चले
सन-सन हवा सयानी
खिडकी
भीतर आये पानी
बरखा
है तो है जिंदगानी
मौसम
भी लगता गुण ज्ञानी
रिमझिम-रिमझिम
का संगीत
बरखा
की है यही कहानी.
भावनाओं के पुष्पों से,हर मन है सिज़ता
अभिव्यक्ति की डोर पर,हर धड़कन है निज़ता,
शब्दों की अमराई में,भावों की तरूणाई है
दिल की लिखी रूबाई मे,एक तड़पन है निज़ता.
सुन्दर बाल रचना ... बस अब तो बादल आ जाएँ तो बात है ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर बालगीत
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