मेरी मजबूरी है कि तुमसे बड़ी दूरी है
सोचता हूँ कि दिल कैसे करीब आयें
मुझे तुम याद करो इश्क़ आबाद करो
और हम चाहतों का नित सलीब पाएँ
किसी से जुड़ जाना ज़िंदगी का तराना
मन यह मस्ताना भी नया नसीब पाये
कितने हैं रंग, अनेकों हैं तरंग-उमंग
आशिक़ी हो दबंग अनुभव अजीब पाएँ
तुम में चतुराई है गजब की गहराई है
तुमको सोचूँ तो मन में अदब आए
तुमसे हो बातें तो निखरे इंद्रधनुष
मिले संगत तो इश्क़ शबद गाए
हे प्रिये मेरा
तो यही नज़राना है
इश्क़ ही तो सभी मज़हब समझाए
ज़िंदगी चूम रही पल दर पल तुमको
तुम्हारे हाँ का संदेशा जाने कब आए. भावनाओं के पुष्पों से,हर मन है सिज़ता
अभिव्यक्ति की डोर पर,हर धड़कन है निज़ता,
शब्दों की अमराई में,भावों की तरूणाई है
दिल की लिखी रूबाई मे,एक तड़पन है निज़ता.
सुन्दर कविता ....बधाई
जवाब देंहटाएंइश्क का तराना यूँ सारी जिंदगी चलता रहे....
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