आपका चेहरा ना देखा कुछ ना देखा
बोल की मिश्री ना तो कैसी मिठास
चांद चलता चांदनी ले चुलबुली
लहरें तट पर दौड़ती कर अट्ठहास
तृप्ति का अनुभव जो मरूस्थल करे
बदली भर बूंदों का पा अहसास
आपका रूप अप्रतिम बस गया
अब ना जीवन से चाहिए खास
सुरभित, सुगम, सुनहरा सौंदर्य है
लगे निज जलप्रपात जैसी प्यास
शबनमी अहसास में पुलकित पंखुड़ियां
सृष्टि को समेट लिया हो मधुमास
आपका चेहरा या मेरी दृष्टि है
खूबसूरती में कैसी यह तलाश
एक जीवन जी ल्न् की ललक
दूरियां कम कर हो सकें पास.
भावनाओं के पुष्पों से,हर मन है सिज़ता
अभिव्यक्ति की डोर पर,हर धड़कन है निज़ता,
शब्दों की अमराई में,भावों की तरूणाई है
दिल की लिखी रूबाई मे,एक तड़पन है निज़ता.
बोल की मिश्री ना तो कैसी मिठास
चांद चलता चांदनी ले चुलबुली
लहरें तट पर दौड़ती कर अट्ठहास
तृप्ति का अनुभव जो मरूस्थल करे
बदली भर बूंदों का पा अहसास
आपका रूप अप्रतिम बस गया
अब ना जीवन से चाहिए खास
सुरभित, सुगम, सुनहरा सौंदर्य है
लगे निज जलप्रपात जैसी प्यास
शबनमी अहसास में पुलकित पंखुड़ियां
सृष्टि को समेट लिया हो मधुमास
आपका चेहरा या मेरी दृष्टि है
खूबसूरती में कैसी यह तलाश
एक जीवन जी ल्न् की ललक
दूरियां कम कर हो सकें पास.
भावनाओं के पुष्पों से,हर मन है सिज़ता
अभिव्यक्ति की डोर पर,हर धड़कन है निज़ता,
शब्दों की अमराई में,भावों की तरूणाई है
दिल की लिखी रूबाई मे,एक तड़पन है निज़ता.
्रूप रस के सौन्दर्य मे सुन्दर शब्दों का प्रयोग। दिल को छू गयी ये प्रेमाभिव्यक्ति। शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंवाह! सच मे चेहरा उतार दिया…………सुन्दर भावाव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति...
जवाब देंहटाएंसुन्दर भावाभिव्यक्ति ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ....आइना दिखाती रचना ...
जवाब देंहटाएंआदरणीय धीरेन्द्र सिंह जी
जवाब देंहटाएंसादर सस्नेहाभिवदन !
आपके ब्लॉग की बहुत सारी रचनाएं पढ़ीं … आनन्द आ गया । सुंदर भाव और शिल्प की छटा मुग्ध कर देती है … वाह वाऽऽह !
आप अलंकारों का भरपूर प्रयोग करते हैं विशेषतः अनुप्रास का … !
गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार