भोर आज छू गई हौले से
मुस्कराई दूब पर फैली नमी
चहचहाती चिड़ियों का वृंद गान
खिल गई है छटामयी ज़मीं
झूमती डालियों में नेह निमंत्रण
यादें संग हैं बस आपकी ही कमी
लालिमा लगा इतरा रह है आसमान
दौड़ गले आकर मिली धूप कुनकुनी
मंदिरों की घंटियॉ और मस्ज़िदों के अजान
दे रहे आशीष अनुपम प्रार्थनाएं हैं जमीं
नयन बने दीप मेरे आज प्रात:
नैवेद्य लिए गति मेरी है थमी
जाग उठा परिवेश ले अपना भेष
ज़िंदगी की लयबद्धता हो रही घनी
प्रीत का पग दौड़ चला उस ओर
ठौर है तुम्हारा जहां अहसास रेशमी.
भावनाओं के पुष्पों से,हर मन है सिज़ता
अभिव्यक्ति की डोर पर,हर धड़कन है निज़ता,
शब्दों की अमराई में,भावों की तरूणाई है
दिल की लिखी रूबाई मे,एक तड़पन है निज़ता.
मुस्कराई दूब पर फैली नमी
चहचहाती चिड़ियों का वृंद गान
खिल गई है छटामयी ज़मीं
झूमती डालियों में नेह निमंत्रण
यादें संग हैं बस आपकी ही कमी
लालिमा लगा इतरा रह है आसमान
दौड़ गले आकर मिली धूप कुनकुनी
मंदिरों की घंटियॉ और मस्ज़िदों के अजान
दे रहे आशीष अनुपम प्रार्थनाएं हैं जमीं
नयन बने दीप मेरे आज प्रात:
नैवेद्य लिए गति मेरी है थमी
जाग उठा परिवेश ले अपना भेष
ज़िंदगी की लयबद्धता हो रही घनी
प्रीत का पग दौड़ चला उस ओर
ठौर है तुम्हारा जहां अहसास रेशमी.
भावनाओं के पुष्पों से,हर मन है सिज़ता
अभिव्यक्ति की डोर पर,हर धड़कन है निज़ता,
शब्दों की अमराई में,भावों की तरूणाई है
दिल की लिखी रूबाई मे,एक तड़पन है निज़ता.
अच्छा लगा भोर का सजीव चित्रण
जवाब देंहटाएंdhirender ji......sach me..bhor ka bahut pyara roop...aur kunkunii dhoop choo gyi...bdhaayi
जवाब देंहटाएंtake care
बहुत ही सजीव शब्द चित्र..बहुत सुन्दर..सचमुच को भोर आज छू गयी..
जवाब देंहटाएं