तत्व की तथ्यता यदि है सत्यता
भाव की भव्यता कैसी है सभ्यता
तत्व और भाव अंतर्द्वंद्व जीवन के
रचित जिस आधार पर है नव्यता
अपरिचित भी लगे सुपरिचित सा
परिचित में ना मिले ढूंढे ग्राह्यता
अनजाने पथ पर पांव अथक चलें
राह परिचित प्रति कदम मांगे द्रव्यता
तत्व का एक रूप है जो जगभासी
भाव है अमूर्त गूढ़ अनुभवी तथ्यता
हर किसी का भाव सिंचित है पुष्पित
तत्व प्रदर्शन मात्र नेपथ्य की आर्द्रता
भाव यदि सक्रिय नहीं व्यक्ति हो कहीं
तत्व की सतह पर तलाशता अमर्त्यता
भाव ही तत्व का है मूल ईंधन जग में
भाव ही प्यार और प्यार में है सार्थकता।
धीरेन्द्र सिंह
18.06.2025
08.16
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें