कौंध जाती नयन पुतली
हृदय में गिरी बिजली
क्या नई यह तान है
या प्रणय निज गान है
उभर आती चाँद सी
शगुन की याद सी
उदित सूरज सम्मान है
या प्रणय अभिमान है
प्यार कब है बोलता
भाव हृदय बस डोलता
इश्क भोला नादान है
या प्रणय विज्ञान है
आप कहती पर अबोल
चेहरा देता भेद खोल
यह लहर मनधाम है
या प्रणय बस नाम है।
धीरेन्द्र सिंह
14.04.2025
20.58
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