सोमवार, 14 अप्रैल 2025

प्रणय

 कौंध जाती नयन पुतली

हृदय में गिरी बिजली

क्या नई यह तान है

या प्रणय निज गान है


उभर आती चाँद सी 

शगुन की याद सी

उदित सूरज सम्मान है

या प्रणय अभिमान है


प्यार कब है बोलता

भाव हृदय बस डोलता

इश्क भोला नादान है

या प्रणय विज्ञान है


आप कहती पर अबोल

चेहरा देता भेद खोल

यह लहर मनधाम है

या प्रणय बस नाम है।


धीरेन्द्र सिंह

14.04.2025

20.58



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