सोमवार, 21 अप्रैल 2025

किसान

 गेहूं की फसल खड़ी

पगडंडी अविराम है

कृषक कहां कृषकाय

खेती तो अभिमान है


फसलें भी हैं चित्रकारी

कृषि तूलिका तमाम हैं

अर्थव्यवस्था अनुरागी यह

खेत की मिट्टी धाम है


गांवों के सुंदर हैं घर

सभी सुविधाएं सकाम हैं

आंगन धूप, हवा आए

छत में जाली आम है


नहीं मोटापा नहीं बीमारी

माटी-मेहनत तान है

खुशहाली में है किसानी

अन्नदाता का सम्मान है।


धीरेन्द्र सिंह

22.04.2025

07.10




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