रविवार, 20 अप्रैल 2025

एक्सप्रेसवे

 तपती-जलती सड़कें

और उसपर

दौड़ता-भागता परिवहन

सड़क के दोनों ओर

कभी ढूर-ढूर तक भूरी जमीन

तो कभी जंगल और पहाड़,

गंतव्य की ओर

जाना भी कितना कठिन,

टोल प्लाजा

नीले रंगपर

सफेद अक्षरों में 

स्वागत करता और लेन संख्या

बतलाता है,

हर परिवहन

अपना शुल्क चुकाता है;


सड़कें अब

सड़क नहीं हैं

वह या तो उच्च पथ

या एक्सप्रेसवे हैं

जो नहीं गुजरती

शहरों के बीच से

बल्कि गुजर जाती हैं,

न बस्ती जाने

न शहर

परिवहन गतिशील

चारों पहर,

लंबी

बहुत लंबी सड़क

चार लेन की 

क्षितिज में

विलीन होती

प्रतीत होती है,


व्यक्ति भी

अपनी भावनाओं के वाहन पर

अपने लक्ष्य की ओर

चला जा रहा,

कुछ लोग करीब हैं

कुछ रिश्ते से बंधे है

सब लगे साथ चल रहे हैं

पर

साथ का एक भ्रम है,

सबकी राह, गति

अलग है

जीवन पथ

और एक्सप्रेसवे में

समानता है,

न जाने कब कौन

बढ़ जाए ओवरटेक करते

बस फर्क है तो

वाहन की प्रवृत्ति में,


टोल प्लाजा

आते जा रहे हैं

व्यक्ति शुल्क चुकाते

बढ़े जा रहे हैं,

हर जीव का मोल है

जीवन अनमोल है।


धीरेन्द्र सिंह

20.04.2025

12.29

मुम्बई-दिल्ली एक्सप्रेसवे।




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