रविवार, 16 मार्च 2025

हो ली

 जो लोग डर नहीं खेलते हैं होली

अभद्रता देख कहें सभ्य हो ली


आजकल आ रहे हैं कई रील

होली उत्सव या शारीरिक कील

रंगों में फसाद और गीला-गीली

अभद्रता देख कहें सभ्य हो ली


सबके मोबाइल में यही भरमार

यह कैसा है मोबाइली अत्याचार

न शालीनता न ही नटखट बोली

अभद्रता देख कहें सभ्य हो ली


ऐसे रील त्यौहार के हैं दुश्मन

प्रेम गायब कुंठित भाव प्रदर्शन

रील भ्रमित करे दूषित हमजोली

अभद्रता देख कहें सभ्य हो ली।


धीरेन्द्र सिंह

16.03.2025

12.26

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