नित नई रचनाएं
भावनाओं की तुरपाई
कुशलता है, अभ्यास है
निज कौशल है,
जरूरी नहीं कि रचनाकार
बौद्धिक है;
एक मुखौटा डालकर
एक चांदनी तानकर
रचनाओं की करें बुआई
संभावनाओं की जुताई
क्या कुछ दिखता नैतिक है?
जरूरी नहीं कि रचनाकार
बौद्धिक है;
बहुत हैं क्षद्मवेशी
सर्जना के निवेशी
देकर कोई पुराना चर्चित नाम
चाहते बनाना सर्जन धाम,
अपना नाम मुखपृष्ठ दिए
अंदर पृष्ठ विभिन्न रचनाएं
कहते सब लौकिक है,
जरूरी नहीं कि रचनाकार
बौद्धिक है।
धीरेन्द्र सिंह
30.08.2024
05.34
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