रविवार, 14 जुलाई 2024

उनकी अदाएं

 यह ना सोचिए कि हम बात नई करते हैं

उनकी अदाएं न कहे बात नहीं करते हैं


एक सुगबुगाहट,गुदगुदाहट की अनुभूतियां

ध्यान में डूब जाती हैं सब जग नीतियां

आपकी स्पंदनों से भाव छुईमुई करते हैं

उनकी अदाएं न कहे बात नहीं करते हैं


उनकी डीपी ही है उनका ज्ञात स्थूल रूप

भावनाओं की तारतम्यता में क्या स्वरूप

अलौकिन चेतनाओं में ही मीत उभरते हैं

उनकी अदाएं न कहे बात नहीं करते हैं


अति सूक्ष्म तरंगित होता है जीव प्यार

प्रत्यक्ष हो न हो अचेतन करता स्वीकार

प्यार की गहनता में शब्द सीप तरते हैं

उनकी अदाएं न कहे बात नहीं करते हैं।


धीरेन्द्र सिंह

15.07.2024

05.23

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