शनिवार, 13 जुलाई 2024

दृग पनघट

 पनघट दृग अंजन अनुरागी

सहमत दृढ़ पलक अतिभागी

नीर प्रवाह झलक प्रथम हो

सुख-दुख का भी प्रतिभागी


नयन भाव अति सत्य प्रवक्ता

पनघट जुड़ाव रचि नित्यभागी

धवल-श्याम नित भाव प्रतिपल

निज व्यक्तित्व अटूट संभागी


मनफुहार दृग झंकार झुमाए

पनघट भाव प्रबल विज्ञानी

नयनों में झांकें बन चातक

पनघट स्वाति नक्षत्र का पानी।


धीरेन्द्र सिंह

13.07.2024

13.00



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