देह की बात नहीं, दिल के बहाने
छुपाकर भाव लिखे जा रहे तराने
कोई कहे खुलापन अश्लील भौंडापन
कोई कहे देह वातायन है सघन
देह वलय तरंगित ताकते मुहाने
छुपाकर भाव लिखे जा रहे तराने
गुड टच बैड टच प्री स्कूल बताए
मच-मच देह क्रूरता न रुक पाए
प्रेम कहां प्यार कहां विक्षिप्त मनमाने
छुपाकर भाव लिखे जा रहे तराने
दो पंक्ति चार पंक्ति काव्य रचना
देह की उबाल को प्यार कह ढंकना
प्यार रहे मूक, समर्पित स्व बुतखाने
छुपाकर भाव लिखे जा रहे तस्राने
एक प्रदेश हर लड़की का समवय भईया
सामाजिक बंधन में लड़की दैया-दैया
दूजे प्रदेश में लड़की झुकाए सब सयाने
छुपाकर भाव लिखे जा रहे तराने।
धीरेन्द्र सिंह
26.04.2024
16.39
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