बुधवार, 31 जनवरी 2024

चलन

 

अस्तित्ब में नित अहं का दहन

बौद्धिकता का कैसा यह चलन

 

सत्य के कथ्य से कटकर दूर

चाटुकारिता करें कहते हुए हुजूर

नई पीढ़ी देख रही लेखकीय गलन

बौद्धिकता का कैसा यह चलन

 

किसी को छपने की ललक प्रथम

किसी को मंच पर महकने का वहम

प्रयासरत निरंतर कहीं तो जुड़े लगन

बौद्धिकता का कैसा यह चलन

 

सोशल मीडिया के हैं असंख्य मित्र

अधिकांश का नाम न पहचानें चित्र

लाइक टिप्पणियों का है यह जतन

बौद्धिकता का कैसा यह चलन।

 

धीरेन्द्र सिंह

31.02.2024

19.40

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें