शुक्रवार, 12 जनवरी 2024

नया क्या खिलेगा

 मुझे इतना पढ़ ली नया क्या मिलेगा

नया ना मिला तो नया क्या खिलेगा


प्रहसन नहीं है प्रणय की यह डगर

सर्जन नहीं है अर्जन की कहां लहर

नवीनता में ही नव पथ्य खुलेगा

नया न मिला तो नया क्या खिलेगा


एक आदत हो जाए तो प्रीत पुरानी

एक सोहबत सहमत तो गति वीरानी

हर कदम बेदम ना नई राह चलेगा

नया न मिला तो नया क्या खिलेगा


जीवन में मनुष्य होता नहीं है रूढ़

धरा और व्योम वही, विभिन्नता आरूढ़

भाव पंख खुले तो वही सृष्टि रंगेगा

नया न मिला तो नया क्या खिलेगा।


धीरेन्द्र सिंह


12.01.2024

14.48

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