गुरुवार, 11 जनवरी 2024

स्वांग है

 पहल का प्रथम प्रहर अनुराग है

शेष तो बस संतुलित स्वांग है


सत्य प्रायः रह जाता है अबोला

असत्य ही प्रखर होकर है बोला

सामाजिकता में निर्मित ऐसा प्रभाग है

शेष तो बस संतुलित स्वांग है


भाव उल्लेख की कई अभिव्यक्तियां

यही आहत करतीं सरगमी नीतियां

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता ही राग है

शेष तो बस संतुलित स्वांग है


चल पड़ा जो राह विश्वास संग एकल

समाज तो क्या विश्व हुआ बेकल

रचित गठित ही सामाजिक मांग है

शेष तो बस संतुलित स्वांग है


नाद के निनाद में क्यों विवाद

भाव विभोरता पर क्यों आघात

हृदय पूजित का ही भान है

शेष तो बस संतुलित स्वांग है।


धीरेन्द्र सिंह


12.01.2024

07.11

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