वह व्हाट्सएप्प पर
सक्रिय रहती है
प्रायः द्विअर्थी बातें
लिखती हैं
और चले आते हैं
उसके चयनित पुरुष
टिप्पणियों में
रुग्ण यौन वर्जनाओं के
लिए शब्द
जिसपर वह अवश्य चिपकाती है
अपनी मुस्कराहट
एक रूमानी आहट,
कोई कुछ भी बोल जाए
उसे फर्क नहीं पड़ता
जिसे चाहती है वही
उसके व्हाट्सएप्प में रहता,
पुस्तकें हैं उसे मिलती
चयनित पुरुषों के
प्रेम और यौन उन्माद की
कथाओं की पुस्तकें,
सभी पुरुष होते हैं
तथाकथित साहित्यिक
छपाए पुस्तकें
अपने पैसों से
खूब होती है गुटरगूं
इन नकलची लेखक जैसों में,
हिंदी लेखन की मौलिकता
कुचल रहीं यह नगरवधुएं
यदि मौका मिले तो पढ़िए
कैसे हैं पुरुष इन्हें छुए।
धीरेन्द्र सिंह
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