शुक्रवार, 17 फ़रवरी 2017

ताश के पत्तों की तरह फेंट रहा दिल
कोशिश यही कि जाएं खूब हिलमिल
दिल का मिलना है जैसे सूर्यमुखी खिलना
और फिर चहक उठें दिल दो खिल-खिल

सब प्यार की चादर से दुआ प्रीत की मांगें
अरमान दिल में संग मीत को लिए भागें
छू न सके छाया, माया, प्रतिकाया कातिल
चाहत के धागों से जो सजी चुनरी झिलमिल

परिचय में प्रस्फुटित एक नया मचान है
नयनों में अंकित प्रेम का फरमान है
तरल भावनाएं उमंगित रही तलाश साहिल
परिचय भी हो गहरा यूँ तो चाहे नई मंजिल

खयालों में शब्दों में सब समेट रहा हूँ
उत्साह लिए दिल को नित फेंट रहा हूँ
एक शबनमी सुबह से मिले रश्मियाँ खुशदिल
क्या बात रहे फिर जो जवां दिल जाएँ मिल।

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