ज़िंदगी की कैसी यह चाल है
ऊबड़ खाबड़ अनचीन्ही टाल है
मंद है तो द्वंद है कभी अति प्रचंड
तुम हो मेरे साथ तो एक ताल है
सागर के थपेड़ों का था एक खौफ
जीवन प्रवाह में तो कई कमाल है
शीर्ष पर आसीन भूमि पर गिरे
वर्चस्वता के लिए वर्चस्व का अकाल है
तुम ना होती साथ तो होता क्या
हर कदम पर चुनौतियों का द्वारपाल है
तुम हो शृंगारपूरित या कि शक्तिस्वरूपा
तुमसे ही उन्नत यह भाल है
नर नारी का सम्मिश्रण सफल जीवन
एक अकेला तो महज एक काल है
नारी है आधार जीवन महल का सशक्त
नर तो सामाजिक सक्रिय चौपाल है।
भावनाओं के पुष्पों से,हर मन है सिज़ता
अभिव्यक्ति की डोर पर,हर धड़कन है निज़ता,
शब्दों की अमराई में,भावों की तरूणाई है
दिल की लिखी रूबाई मे,एक तड़पन है निज़ता.
ऊबड़ खाबड़ अनचीन्ही टाल है
मंद है तो द्वंद है कभी अति प्रचंड
तुम हो मेरे साथ तो एक ताल है
सागर के थपेड़ों का था एक खौफ
जीवन प्रवाह में तो कई कमाल है
शीर्ष पर आसीन भूमि पर गिरे
वर्चस्वता के लिए वर्चस्व का अकाल है
तुम ना होती साथ तो होता क्या
हर कदम पर चुनौतियों का द्वारपाल है
तुम हो शृंगारपूरित या कि शक्तिस्वरूपा
तुमसे ही उन्नत यह भाल है
नर नारी का सम्मिश्रण सफल जीवन
एक अकेला तो महज एक काल है
नारी है आधार जीवन महल का सशक्त
नर तो सामाजिक सक्रिय चौपाल है।
भावनाओं के पुष्पों से,हर मन है सिज़ता
अभिव्यक्ति की डोर पर,हर धड़कन है निज़ता,
शब्दों की अमराई में,भावों की तरूणाई है
दिल की लिखी रूबाई मे,एक तड़पन है निज़ता.
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