शनिवार, 22 जनवरी 2011

आहट

आहटों का क्या भरोसा बोल दें कब
हाशिए से हसरतें कब छिटक जाएँ
एक अंजुरी में सागर की लालसा चपल
लहरों पर आकाँक्षाओं के दीपक सजाएँ

रंगमयी कामनाओं की रंगोली धवल
देह देहरी बंदनवार की स्वागती छटाएं
एक कंपित टहनी पर ठहरी बूँद
निरख रही पुष्प की अभिनव अदाएं

भाव के अलाव में ठिठुरन कहाँ
अगन मन मगन हो धधकती जाये
जलने-जलाने का यह अनवरत क्रम
विरह की मिलती है क्यों रह-रह सदाएं

क्यारियों में बंटी हैं वाटिकाएं
प्यार की रचती शाखाएं–प्रशाखाएं
हो विभाजित कब मिली परिपूर्णता
आहटों को पकड़ चलो खिल जाएँ   
  


भावनाओं के पुष्पों से,हर मन है सिज़ता
अभिव्यक्ति की डोर पर,हर धड़कन है निज़ता,
शब्दों की अमराई में,भावों की तरूणाई है 
दिल की लिखी रूबाई मे,एक तड़पन है निज़ता.

9 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत खूबसूरत ...रंगमयी कल्पना की रंगोली धवल ... बहुत सुन्दर बिम्ब है ..सारे रंग मिल कर धवल रंग ही बनाते हैं ...

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुतिकरण, भावनाओं में पगी कविता

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  3. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (24/1/2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
    http://charchamanch.uchcharan.com

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  4. बहुत सुंदर रचना ...प्रभावी भावाभिव्यक्ति

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  5. सुन्दर प्रवाहमयी कविता ... आनद आ गया ....

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  6. बह्ह्त सुन्दर शब्द चित्रण..बहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति.

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