आहटों का क्या भरोसा बोल दें कब
हाशिए से हसरतें कब छिटक जाएँ
एक अंजुरी में सागर की लालसा चपल
लहरों पर आकाँक्षाओं के दीपक सजाएँ
रंगमयी कामनाओं की रंगोली धवल
देह देहरी बंदनवार की स्वागती छटाएं
एक कंपित टहनी पर ठहरी बूँद
निरख रही पुष्प की अभिनव अदाएं
भाव के अलाव में ठिठुरन कहाँ
अगन मन मगन हो धधकती जाये
जलने-जलाने का यह अनवरत क्रम
विरह की मिलती है क्यों रह-रह सदाएं
क्यारियों में बंटी हैं वाटिकाएं
प्यार की रचती शाखाएं–प्रशाखाएं
हो विभाजित कब मिली परिपूर्णता
आहटों को पकड़ चलो खिल जाएँ
भावनाओं के पुष्पों से,हर मन है सिज़ता
अभिव्यक्ति की डोर पर,हर धड़कन है निज़ता,
शब्दों की अमराई में,भावों की तरूणाई है
दिल की लिखी रूबाई मे,एक तड़पन है निज़ता.
बहुत खूबसूरत ...रंगमयी कल्पना की रंगोली धवल ... बहुत सुन्दर बिम्ब है ..सारे रंग मिल कर धवल रंग ही बनाते हैं ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुतिकरण, भावनाओं में पगी कविता
जवाब देंहटाएंआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (24/1/2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.uchcharan.com
बहुत सुंदर रचना ...प्रभावी भावाभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंbahut sahaj prastutikaran
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रवाहमयी कविता ... आनद आ गया ....
जवाब देंहटाएंबेहतरीन ।
जवाब देंहटाएंबह्ह्त सुन्दर शब्द चित्रण..बहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंvery good post
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