आज जब शाम से, तनहाई में मुलाकात हुई
रात ढलने से पहले, चॉदनी मेरे साथ हुई,
कुछ उजाले और कुछ अंधेरे से, मौसम में
डूबते सूरज से, सितारों की बरसात हुई.
मैं रहा देखता बस, बदलती इस तस्वीर को
चाहतें चुलबुली की, नज़रों से कई बात हुई,
शाम के झुरमुटों से, कुछ ऐसी चली हवा
ज़ुल्फें उड़ने लगी और ज़िंदगी जज्बात हुई.
कसमसाहट सी उठे, जिस्म तब पतवार लगे
इश्क कश्ती बहक, ना जाने किस घाट हुई,
यूँ ही अक्सर जब चहक पूछा करो मेरा हाल
गुल के शबनम सी, तबीयत की ठाठ हुई.
शाम के वक्त सा, चौराहा बन गया जीवन
रोशनी तो कहीं, अंधेरे से मुलाकात हुई,
किस कदर खामोश हो, देखता रहता है दिल
शबनमी बारिश जब, इश्क की सौगात हुई.
इस नए सुंदर से चिट्ठे के साथ आपका हिंदी ब्लॉग जगत में स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति..धन्यवाद|
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