यदि मैं प्रतीत हूँ तो प्यार का प्रतीक हूँ
यदि मैं व्यतीत हूँ तो यार का अतीत हूँ
यदि मैं अनदेखा तो खुद से करूँ धोखा
यदि भीड़ का गुमशुदा तो शोर संगीत हूँ
एक संबंध का मन से मन का गीत हूँ
सर्जन से अर्जन जो उसीका मैं प्रीत हूँ
मन छुआ रचना मेरी एक डोर बंध गयी वहीं
मंद सुलगन राख दबी वही लिए रीत हूँ
जो भी मिले जो जुड़े लिए उनकी शीत हूँ
अभिव्यक्तियाँ उत्तुंग लिए भाव का भीत हूँ
इंद्रधनुष की ऋचाओं की शोध मिलकर करें
भावरंग भर चला हूँ साधना का क्रीत हूँ।
धीरेन्द्र सिंह
01.05.2025
12.32
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