गुरुवार, 1 मई 2025

मैं

 यदि मैं प्रतीत हूँ तो प्यार का प्रतीक हूँ

यदि मैं व्यतीत हूँ तो यार का अतीत हूँ

यदि मैं अनदेखा तो खुद से करूँ धोखा

यदि भीड़ का गुमशुदा तो शोर संगीत हूँ


एक संबंध का मन से मन का गीत हूँ

सर्जन से अर्जन जो उसीका मैं प्रीत हूँ

मन छुआ रचना मेरी एक डोर बंध गयी वहीं

मंद सुलगन राख दबी वही लिए रीत हूँ


जो भी मिले जो जुड़े लिए उनकी शीत हूँ

अभिव्यक्तियाँ उत्तुंग लिए भाव का भीत हूँ

इंद्रधनुष की ऋचाओं की शोध मिलकर करें

भावरंग भर चला हूँ साधना का क्रीत हूँ।


धीरेन्द्र सिंह

01.05.2025

12.32



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